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होकर दीदार धरती भी आज जगमगाया है.
तुझे देखने को सर मैंने उठाया है.
तूने आज मुझे लुका छुपी का खेल दिखाया है.
होकर मायूस सर मैंने झुकाया है.
फिर छूकर मेरे गालों को मुश्कान तुमने लाया है.
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